मालदीव के मंत्री की टिप्पणी:
रविवार को मालदीव के युवा सशक्तिकरण मंत्री (मरियम शिनुआ) द्वारा प्रधानमंत्री मोदी पर किए गए आपत्तिजनक टिप्पणी का भारत द्वारा कड़ा विरोध किया गया ।
- मामला तब गंभीर हुआ जब मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद मिज़ू की सरकार ने अपने मंत्री के बयान से किनारा कर लिया।
- मालदीव सरकार ने कहा ” सभी को बोलने का अधिकार है परंतु सभी को लोकतंत्र के दायरे में रह कर और दूसरों को आहत न हो इसका विचार करके बोलना चाहिए, किसी को भी इस बात का अधिकार नहीं है की वो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दरार डालें “।
- “जो भी इस तरह की घटना में संलिप्त पाए जाएगा हम उसके खिलाफ कार्यवाही करने में बिलकुल भी देरी नहीं करेंगे ” मालदीव सरकार द्वारा कहा गया।
भारत – मालदीव के बीच हुई मुख्य बातें :
- भारत और मालदीव के बीच बात तब बिगड़ी जब मालदीव के नेता ने संघसाशित प्रदेश लक्षद्वीप में आकर प्रधान मंत्री मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करी।
- मालदीव के युवा सशक्तिकरण मंत्री (मरियम शिनुआ) ने प्रधानमंत्री मोदी जी को “जोकर” और “कठपुतली” कहा और जिसके बाद उन्ही की मुसीबत बढ़ गई।
- मालदीव के मंत्री की टिप्पणी के बाद से भारतीय लोगों में आक्रोश है और सभी मालदीव के बहिष्कार की बात कर रहे है।
- मामले के बढ़ने पर मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने इसकी घोर निन्दा करी और भारत को मालदीव का अच्छा दोस्त बताया।
- वर्तमान मालदीव की सरकार ने खुद को इस टिप्पणी से दूर करते हुए कहा ” यह एक व्यक्तिगत विचार है और इससे सरकार का कोई वास्ता नहीं है, इस प्रकार के विचारों का सरकार समर्थन नहीं करती है “।
- मोहम्मद मिज़ू की सरकार जो इसी साल जनता द्वारा चुनी गई है इसकी शुरुआत ही भारत विरोधी वक्तव्यों के साथ हुई थी क्योंकि जन रैलियों में भी मिज़ू भारत के खिलाफ कहते नजर आए थे।
- मोहम्मद मिज़ू ने सरकार में आने के बाद पहली विदेश यात्रा भी तुर्की में करी थी जो की सब जानते है की भारत विरोधी सोच रखता है इसी कारण अब सब यही कह रहे है की मालदीव सरकार की सोच ही भारत विरोधी हो चुकी है।
मालदीव के मंत्रियों ने कहा :
मालदीव के युवा सशक्तिकरण मंत्री (मरियम शिनुआ) द्वारा दिए गए बयान की सभी मालदीव के मंत्रियों ने घोर निन्दा की है और सभी ने कहा की प्रधानमंत्री मोदी जी जैसे विश्वशनीय और लोकप्रिय नेता के बारे में इस प्रकार की टिप्पणी से नुकसान केवल मालदीव का ही है क्योंकि भारत ने मालदीव का साथ कई वर्षों से दिया है, भारत ने सदा ही अपने पड़ोसी देशों के भले के लिए कार्य किए है और कोशिश करी है कि सबका साथ और सबका विकास हो सके। इस प्रकार की टिप्पणी दशकों पुराने संबंधों को खराब कर सकती है।